॥ श्री त्रिशति स्मारक विजय-घोष॥
by Srinath Ullal
॥ॐ श्री गुरुभ्यो नम:॥ ॥ॐ श्री भवानीशङ्कराय नमः॥ ॥ॐ श्री मात्रे नमः॥
श्रीनाथ विरचित
॥ श्री त्रिशति स्मारक विजयघोष ॥
॥दशम श्री गुरु पादुकाङ्क अति भक्तिपूर्ण समर्पण॥
॥विजथ त्रिशतमानोत्सवाक जयतु जयतु श्री त्रिशति जयतु॥
(१)
कठिन जप-तप फलस्वरूप प्रकट प्रथम श्री परिज्ञानाश्रम।
पूर्वदैवेच्छानुसरित पुण्य-क्षेत्रे कोटि तीर्थे।
संवत् सर्वजित् माघमासे शुक्लसप्तमी स्वर्णदिवसे।
सकल सारस्वत कृतार्थ कोटि-कोटि नमन प्रणत॥
(२)
त्रिशतमानोत्सवप्रयुक्त श्रीगुरूङ्गलिच्छानुसरित।
आदि सद्गुरु सन्निधाने सहस्र सारस्वत सम्मिलित।
हर्षोल्लास उत्साहभरित प्रतिपयणसद्गुरु सहितकल्पित।
सकल सारस्वत कृतार्थ कोटि-कोटि नमन-प्रणत॥
(३)
सकल आवश्यक पदार्थ पूर्वसञ्चय निमित्त प्राप्त।
खाद्य-पेय वैद्य-पथ्य सद्य-लभ्य धन्य-पथिक।
हेतु-केवल कार-सेवक कुशल-कर्म योग-साधक।
सकल सारस्वत कृतार्थ कोटि-कोटिनमन-प्रणत॥
(४)
दशम-श्रीगुरु बोध-संस्मृत पदे-पदे अव्याहत।
तरुण-तरुणी वृद्ध-वृद्धा भक्ति-श्रद्धा प्रेरित।
प्रायश्चित्त शुद्ध-चित्त विविध-दृढ सङ्कल्प-धरित।
सकल सारस्वत कृतार्थ कोटि-कोटि नमन-प्रणत॥
(५)
गद्य-पद्य श्लोक-स्तोत्र भजन-कीर्तन भाव-गीत।
नन्दनन्दानन्द-भरित वाद्य-नृत्य सङ्गीत-ललित।
ताळ-तिप्डि ढेरु-ढोलक श्रुति प्रशान्त सङ्गत।
सकल सारस्वत कृतार्थ कोटि-कोटि नमन-प्रणत॥
(६)
भव्य-सुन्दर वाहने प्रियवृषभ-राम-धृत रक्ततिलक।
दिव्य-श्री गुरु-ज्योति द्योतक दशम-श्रीगुरु पादुकँ।
स्वतः-सद्गुरु अमृत-हस्ते स्थापित अतिभक्ति-पूर्वक।
सकल सारस्वत कृतार्थ कोटि-कोटि नमन-प्रणत॥
(७)
॥ अतिहृदय-स्पर्शी कौतुक सर्व-प्रेक्षक भावुक ॥
(८)
सकल-मङ्गल मन्त्र-घोष-शुभ शङ्ख-वादन गगन-गुञ्जन।
सर्व-कार्यक्रम-सम्पन्न श्रीवलि-प्रति प्रगत-पयण।
सारस्वतगण सौभाग्य त्रिशतिवर्षोद्घाटन।
जय विजय जय घोषण घन-गर्व-गौरव भूषण॥
(९)
सज्जित उन्नत ऐरावत नन्द स्वागताक पावसा शान्न मन्द।
देवेन्द्रादिदेव समस्त, प्रसन्न अति प्रसन्न खचित।
नमन श्रीवलि मृत्तिकेक चित्रापुरश्री चेतनेक।
नमन-अष्ट-दिक्-पालकाङ्क नमन-पावन शिव-गङ्गेक।
नमन-मारुति बाहुबलीक नमन-विजय ध्वज-स्तम्भाक।
नमन-स्वागत-स्मित-द्वाराक तेज-पुञ्ज विभूतिक।
नमन दक्ष अर्चकाङ्क अनेकानेक सेवकाङ्क।
सकल-सारस्वत कृतार्थ कोटि-कोटि नमन-प्रणत॥
(१०)
॥अहो-सुन्दर दृश्य-पळया शम्भु-नन्दि नयन-मिलन॥
(११)
श्रीभवानीशङ्कराकै-नमन - श्री भुवनेश्वरीकै।
नमनश्री विघ्नेश्वराक नमनश्री शङ्कराचर्याङ्क।
नमन-सर्व सान्निध्याङ्क नमन-दशमगुरु पादुकाङ्क।
सकल-सारस्वत कृतार्थ कोटि-कोटि नमन-प्रणत॥
(१२)
क्षेत्र-चित्रापुर पवित्र पीठ-माता पिता-समान।
त्रिशत-संवत्सरपुरातन पालन-तत्पर धर्म-सनातन।
विजय त्रिशतमानोत्सवाक जयतु-जयतु-श्री त्रिशति-जयतु।
विजय-त्रिशतमानोत्सवाक जयतु-जयतु श्री त्रिशति जयतु॥
(१३)
॥ स्वामि परिज्ञान दय्या करा दया प्रेम मया अनन्यया॥
॥ नमः पार्वतीपतये हरहरमहादेव ॥